बिलक़ीस ज़फ़ीरुल हसन कविता, ग़ज़ल तथा कविताओं का बिलक़ीस ज़फ़ीरुल हसन

बिलक़ीस ज़फ़ीरुल हसन कविता, ग़ज़ल तथा कविताओं का बिलक़ीस ज़फ़ीरुल हसन
नामबिलक़ीस ज़फ़ीरुल हसन
अंग्रेज़ी नामBilqis Zafirul Hasan
जन्म की तारीख1938
जन्म स्थानDelhi

ज़रा सी देर भी रुकता तो कुछ पता चलता

यूँ चुप रहा करे से तो हो जाए है जुनूँ

उठ कर चले गए तो कभी फिर न आएँगे

तेरी तो 'बिल्क़ीस' निराली ही बातें हैं

तमाम लाला ओ गुल के चराग़ रौशन हैं

नहीं है ख़्वाब दीवाने का हस्ती

मेरी तरह टूटे आईने में उस ने भी

कितने सादा हैं हम कि बैठे हैं

ख़ुद पे ये ज़ुल्म गवारा नहीं होगा हम से

ख़ुद अपनी फ़िक्र उगाती है वहम के काँटे

जिन में खो कर हम ख़ुद को भी भूल गए हैं

जाने क्या कुछ है आज होने को

हम तो बेगाने से ख़ुद को भी मिले हैं 'बिल्क़ीस'

हर-दिल-अज़ीज़ वो भी है हम भी हैं ख़ुश-मिज़ाज

है यूँ कि कुछ तो बग़ावत-सिरिश्त हम भी हैं

दर बदर की ख़ाक थी तक़दीर में

दहशत-ज़दा ज़मीं पर वहशत भरे मकाँ ये

बस एक जान बची थी छिड़क दी राहों पर

अपनी तो कोई बात बनाए नहीं बनी

अनहोनी कुछ ज़रूर हुई दिल के साथ आज

ज़ख़्म को फूल कहें नौहे को नग़्मा समझें

शाम से हम ता सहर चलते रहे

पाबंदियों से अपनी निकलते वो पा न थे

नज़र आता है वो जैसा नहीं है

मिरी हथेली में लिक्खा हुआ दिखाई दे

कोई आहट कोई सरगोशी सदा कुछ भी नहीं

किस ने कहा किसी का कहा तुम किया करो

काँटे हों या फूल अकेले चुनना होगा

कब एक रंग में दुनिया का हाल ठहरा है

कब इक मक़ाम पे रुकती है सर-फिरी है हवा

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