होली

आज है रोज़-ए-वसंत ऐ दोस्ताँ

सर्व-क़द है बोस्ताँ के दरमियाँ

बाग़ में है ऐश-ओ-इशरत रात दिन

गुल-रुख़ाँ बिन नईं गुज़रती एक दिन

सब के तन में है लिबास-ए-केसरी

करते हैं सद-बर्ग सूँ लब हम-सरी

ख़ूब-रू सब बन रहे हैं लाल ज़र्द

बाग़ का बाज़ार है इस वक़्त सर्द

चाँद जैसा है शफ़क़ भीतर अयाँ

चेहरा सब का अज़-गुलाल आतिश-फ़िशाँ

हर छबेली अज़-लिबास-ए-केसरी

ताज़ा करती है बहार-ए-जाफ़री

नाचती गा गा के होली दम-ब-दम

ज्यूँ सभा इन्दर की दर बाग़-ए-इरम

अज़ कबीर-ओ-रंग-ए-केसर और गुलाल

अब्र छाया है सफ़ेद-ओ-ज़र्द-ओ-लाल

जियूँ झड़ी हर सू है पिचकारी की धार

दौड़ती हैं नारियाँ बिजली के सार

जोश-ए-इशरत घर-ब-घर है हर तरफ़

नाचती हैं सब तकल्लुफ़-बर-तरफ़

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Holi In Hindi By Famous Poet Faez Dehlvi. Holi is written by Faez Dehlvi. Complete Poem Holi in Hindi by Faez Dehlvi. Download free Holi Poem for Youth in PDF. Holi is a Poem on Inspiration for young students. Share Holi with your friends on Twitter, Whatsapp and Facebook.