फ़हमी बदायूनी कविता, ग़ज़ल तथा कविताओं का फ़हमी बदायूनी
नाम | फ़हमी बदायूनी |
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अंग्रेज़ी नाम | Fahmi Badayuni |
उसे ले कर जो गाड़ी जा चुकी है
शहसवारों ने रौशनी माँगी
पूछ लेते वो बस मिज़ाज मिरा
परेशाँ है वो झूटा इश्क़ कर के
निगाहें करती रह जाती हैं हिज्जे
मैं ने उस की तरफ़ से ख़त लिक्खा
ख़ुशी से काँप रही थीं ये उँगलियाँ इतनी
ख़ूँ पिला कर जो शेर पाला था
बदन का ज़िक्र बातिल है तो आओ
आप तशरीफ़ लाए थे इक रोज़
आज पैवंद की ज़रूरत है
ज़रा मोहतात होना चाहिए था
वो कहीं था कहीं दिखाई दिया
वलवले जब हवा के बैठ गए
वफ़ा-दारी ग़नीमत हो गई क्या
तेरे जैसा कोई मिला ही नहीं
सहराओं ने माँगा पानी
सहारे जाने-पहचाने बना लूँ
पूछ लेते वो बस मिज़ाज मिरा
परिंदे सहमे सहमे उड़ रहे हैं
नमक की रोज़ मालिश कर रहे हैं
नहीं हो तुम तो ऐसा लग रहा है
मौत की सम्त जान चलती रही
कोई मिलता नहीं ख़ुदा की तरह
ख़त लिफ़ाफ़े में ग़ैर का निकला
जाहिलों को सलाम करना है
जब रेतीले हो जाते हैं
एक मेहमाँ का हिज्र तारी है
चलती साँसों को जाम करने लगा
बस तुम्हारा मकाँ दिखाई दिया