जब रेतीले हो जाते हैं
पर्वत टीले हो जाते हैं
तोड़े जाते हैं जो शीशे
वो नोकीले हो जाते हैं
बाग़ धुएँ में रहता है तो
फल ज़हरीले हो जाते हैं
नादारी में आग़ोशों के
बंधन ढीले हो जाते हैं
फूलों को सुर्ख़ी देने में
पत्ते पीले हो जाते हैं
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तेरे जैसा कोई मिला ही नहीं
चलती साँसों को जाम करने लगा
सहारे जाने-पहचाने बना लूँ
पूछ लेते वो बस मिज़ाज मिरा
नहीं हो तुम तो ऐसा लग रहा है
नमक की रोज़ मालिश कर रहे हैं
मैं ने उस की तरफ़ से ख़त लिक्खा
परिंदे सहमे सहमे उड़ रहे हैं
मौत की सम्त जान चलती रही
निगाहें करती रह जाती हैं हिज्जे