ताक़त के सारे ज़ोर को ख़ामोश कर दिया

ताक़त के सारे ज़ोर को ख़ामोश कर दिया

ख़ामोशियों ने शोर को ख़ामोश कर दिया

जिस डोर से निकलती रही प्यार की सदा

ज़ालिम ने ऐसे डोर को ख़ामोश कर दिया

सब कुछ तो ठीक था जो नज़र पाँव पर पड़ी

मस्ती में डूबे मोर को ख़ामोश कर दिया

वो भीड़ थी जो टूट पड़ी और उस जगह

हाथों में आए चोर को ख़ामोश कर दिया

अक्सर यही हुआ है कि जिस्मों की आग ने

जिस्मों के पोर पोर को ख़ामोश कर दिया

ऐ दोस्त मय से दूर ही रहना कि उस ने तो

कितने ही बादा-ख़ोर ख़ामोश कर दिया

'फ़य्याज़' हम दिया नहीं जिस को कि आप ने

शब-भर जलाया भोर को ख़ामोश कर दिया

(917) Peoples Rate This

Your Thoughts and Comments

Taqat Ke Sare Zor Ko KHamosh Kar Diya In Hindi By Famous Poet Faiyyaz Rash. Taqat Ke Sare Zor Ko KHamosh Kar Diya is written by Faiyyaz Rash. Complete Poem Taqat Ke Sare Zor Ko KHamosh Kar Diya in Hindi by Faiyyaz Rash. Download free Taqat Ke Sare Zor Ko KHamosh Kar Diya Poem for Youth in PDF. Taqat Ke Sare Zor Ko KHamosh Kar Diya is a Poem on Inspiration for young students. Share Taqat Ke Sare Zor Ko KHamosh Kar Diya with your friends on Twitter, Whatsapp and Facebook.