फ़ैज़ अहमद फ़ैज़ कविता, ग़ज़ल तथा कविताओं का फ़ैज़ अहमद फ़ैज़ (page 11)
नाम | फ़ैज़ अहमद फ़ैज़ |
---|---|
अंग्रेज़ी नाम | Faiz Ahmad Faiz |
जन्म की तारीख | 1911 |
मौत की तिथि | 1984 |
जन्म स्थान | Lahore |
राज़-ए-उल्फ़त छुपा के देख लिया
क़र्ज़-ए-निगाह-ए-यार अदा कर चुके हैं हम
क़ंद-ए-दहन कुछ इस से ज़ियादा
फिर लौटा है ख़ुर्शीद-ए-जहाँ-ताब सफ़र से
फिर हरीफ़-ए-बहार हो बैठे
फिर आईना-ए-आलम शायद कि निखर जाए
नसीब आज़माने के दिन आ रहे हैं
नहीं निगाह में मंज़िल तो जुस्तुजू ही सही
न किसी पे ज़ख़्म अयाँ कोई न किसी को फ़िक्र रफ़ू की है
न गँवाओ नावक-ए-नीम-कश दिल-ए-रेज़ा-रेज़ा गँवा दिया
न अब रक़ीब न नासेह न ग़म-गुसार कोई
कुछ पहले इन आँखों आगे क्या क्या न नज़ारा गुज़रे था
कुछ मोहतसिबों की ख़ल्वत में कुछ वाइ'ज़ के घर जाती है
कुछ दिन से इंतिज़ार-ए-सवाल-ए-दिगर में है
किए आरज़ू से पैमाँ जो मआल तक न पहुँचे
किसी गुमाँ पे तवक़्क़ो' ज़ियादा रखते हैं
किस शहर न शोहरा हुआ नादानी-ए-दिल का
किस हर्फ़ पे तू ने गोश-ए-लब ऐ जान-ए-जहाँ ग़म्माज़ किया
कई बार इस का दामन भर दिया हुस्न-ए-दो-आलम से
कभी कभी याद में उभरते हैं नक़्श-ए-माज़ी मिटे मिटे से
कब याद में तेरा साथ नहीं कब हात में तेरा हात नहीं
कब ठहरेगा दर्द ऐ दिल कब रात बसर होगी
कब तक दिल की ख़ैर मनाएँ कब तक रह दिखलाओगे
जमेगी कैसे बिसात-ए-याराँ कि शीशा ओ जाम बुझ गए हैं
जैसे हम-बज़्म हैं फिर यार-ए-तरह-दार से हम
इश्क़ मिन्नत-कश-ए-क़रार नहीं
इज्ज़-ए-अहल-ए-सितम की बात करो
हुस्न मरहून-ए-जोश-ए-बादा-ए-नाज़
हम ने सब शेर में सँवारे थे
हम सादा ही ऐसे थे की यूँ ही पज़ीराई