ईरानी तलबा के नाम

ये कौन सख़ी हैं

जिन के लहू की

अशरफ़ियाँ छन-छन, छन-छन,

धरती के पैहम प्यासे

कश्कोल में ढलती जाती हैं

कश्कोल को भरती हैं

ये कौन जवाँ हैं अर्ज़-ए-अजम

ये लख-लुट

जिन के जिस्मों की

भरपूर जवानी का कुंदन

यूँ ख़ाक में रेज़ा रेज़ा है

यूँ कूचा कूचा बिखरा है

ऐ अर्ज़-ए-अजम, ऐ अर्ज़-ए-अजम!

क्यूँ नोच के हँस हँस फेंक दिए

उन आँखों ने अपने नीलम

उन होंटों ने अपने मर्जां

उन हाथों की ''बे-कल चाँदी

किस काम आई किस हाथ लगी''

ऐ पूछने वाले परदेसी

ये तिफ़्ल ओ जवाँ

उस नूर के नौ-रस मोती हैं

उस आग की कच्ची कलियाँ हैं

जिस मीठे नूर और कड़वी आग

से ज़ुल्म की अंधी रात में फूटा

सुब्ह-ए-बग़ावत का गुलशन

और सुब्ह हुई मन-मन, तन-तन,

उन जिस्मों का चाँदी सोना

उन चेहरों के नीलम, मर्जां,

जग-मग जग-मग रुख़शां रुख़शां

जो देखना चाहे परदेसी

पास आए देखे जी भर कर

ये ज़ीस्त की रानी का झूमर

ये अम्न की देवी का कंगन!

(1674) Peoples Rate This

Your Thoughts and Comments

Irani Talaba Ke Nam In Hindi By Famous Poet Faiz Ahmad Faiz. Irani Talaba Ke Nam is written by Faiz Ahmad Faiz. Complete Poem Irani Talaba Ke Nam in Hindi by Faiz Ahmad Faiz. Download free Irani Talaba Ke Nam Poem for Youth in PDF. Irani Talaba Ke Nam is a Poem on Inspiration for young students. Share Irani Talaba Ke Nam with your friends on Twitter, Whatsapp and Facebook.