इस वक़्त तो यूँ लगता है

इस वक़्त तो यूँ लगता है अब कुछ भी नहीं है

महताब न सूरज, न अँधेरा न सवेरा

आँखों के दरीचों पे किसी हुस्न की चिलमन

और दिल की पनाहों में किसी दर्द का डेरा

मुमकिन है कोई वहम था, मुमकिन है सुना हो

गलियों में किसी चाप का इक आख़िरी फेरा

शाख़ों में ख़यालों के घने पेड़ की शायद

अब आ के करेगा न कोई ख़्वाब बसेरा

इक बैर न इक मेहर न इक रब्त न रिश्ता

तेरा कोई अपना, न पराया कोई मेरा

माना कि ये सुनसान घड़ी सख़्त घड़ी है

लेकिन मिरे दिल ये तो फ़क़त इक ही घड़ी है

हिम्मत करो जीने को तो इक उम्र पड़ी है

(8303) Peoples Rate This

Your Thoughts and Comments

Is Waqt To Yun Lagta Hai In Hindi By Famous Poet Faiz Ahmad Faiz. Is Waqt To Yun Lagta Hai is written by Faiz Ahmad Faiz. Complete Poem Is Waqt To Yun Lagta Hai in Hindi by Faiz Ahmad Faiz. Download free Is Waqt To Yun Lagta Hai Poem for Youth in PDF. Is Waqt To Yun Lagta Hai is a Poem on Inspiration for young students. Share Is Waqt To Yun Lagta Hai with your friends on Twitter, Whatsapp and Facebook.