मरसिए

1

दूर जा कर क़रीब हो जितने

हम से कब तुम क़रीब थे इतने

अब न आओगे तुम न जाओगे

वस्ल-ए-हिज्राँ बहम हुए कितने

2

चाँद निकले किसी जानिब तिरी ज़ेबाई का

रंग बदले किसी सूरत शब-ए-तन्हाई का

दौलत-ए-लब से फिर ऐ ख़ुसरव-ए-शीरीं-दहनाँ

आज अर्ज़ां हो कोई हर्फ़ शनासाई का

गर्मी-ए-रश्क से हर अंजुमन-ए-गुल-बदनाँ

तज़्किरा छेड़े तिरी पैरहन-आराई का

सेहन-ए-गुलशन में कभी ऐ शह-ए-शमशाद-क़दाँ

फिर नज़र आए सलीक़ा तिरी रानाई का

एक बार और मसीहा-ए-दिल-ए-दिल-ज़दगाँ

कोई वा'दा कोई इक़रार मसीहाई का

साज़-ओ-सामान बहम पहुँचा है रुस्वाई का

3

कब तक दिल की ख़ैर मनाएँ कब तक रह दिखलाओगे

कब तक चैन की मोहलत दोगे कब तक याद न आओगे

बीता दीद उम्मीद का मौसम ख़ाक उड़ती है आँखों में

कब भेजोगे दर्द का बादल कब बरखा बरसाओगे

अहद-ए-वफ़ा या तर्क-ए-मोहब्बत जो चाहो सो आप करो

अपने बस की बात ही क्या है हम से क्या मनवाओगे

किस ने वस्ल का सूरज देखा किस पर हिज्र की रात ढली

गेसुओं वाले कौन थे क्या थे उन को क्या जतलाओगे

'फ़ैज़' दिलों के भाग में है घर भरना भी लुट जाना भी

तुम इस हुस्न के लुत्फ़-ओ-करम पर कितने दिन इतराओगे

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Marsiye In Hindi By Famous Poet Faiz Ahmad Faiz. Marsiye is written by Faiz Ahmad Faiz. Complete Poem Marsiye in Hindi by Faiz Ahmad Faiz. Download free Marsiye Poem for Youth in PDF. Marsiye is a Poem on Inspiration for young students. Share Marsiye with your friends on Twitter, Whatsapp and Facebook.