हम शैख़ न लीडर न मुसाहिब न सहाफ़ी
जो ख़ुद नहीं करते वो हिदायत न करेंगे
Allama Iqbal
Parveen Shakir
Rahat Indori
Wasi Shah
Anwar Masood
Gulzar
Jaun Eliya
Mir Taqi Mir
Faiz Ahmad Faiz
Javed Akhtar
Mohsin Naqvi
Habib Jalib
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खिले जो एक दरीचे में आज हुस्न के फूल
आज शब कोई नहीं है
आज यूँ मौज-दर-मौज ग़म थम गया इस तरह ग़म-ज़दों को क़रार आ गया
तौक़-ओ-दार का मौसम
यार अग़्यार हो गए हैं
शाएर लोग
जो तलब पे अहद-ए-वफ़ा किया तो वो आबरू-ए-वफ़ा गई
ब्लैक-आउट
गाँव की सड़क
कब याद में तेरा साथ नहीं कब हात में तेरा हात नहीं
ज़िंदगी क्या किसी मुफ़लिस की क़बा है जिस में
दो इश्क़