हम से कहते हैं चमन वाले ग़रीबान-ए-चमन
तुम कोई अच्छा सा रख लो अपने वीराने का नाम
Jaun Eliya
Habib Jalib
Wasi Shah
Rahat Indori
Ahmad Faraz
Anwar Masood
Allama Iqbal
Mir Taqi Mir
Mohsin Naqvi
Gulzar
Faiz Ahmad Faiz
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आए तो यूँ कि जैसे हमेशा थे मेहरबान
मरसिए
जिस रोज़ क़ज़ा आएगी
जैसे हम-बज़्म हैं फिर यार-ए-तरह-दार से हम
हुस्न मरहून-ए-जोश-ए-बादा-ए-नाज़
तौक़-ओ-दार का मौसम
रात यूँ दिल में तिरी खोई हुई याद आई
सुरुद-ए-शबाना
सबा के हाथ में नर्मी है उन के हाथों की
हम सहल-तलब कौन से फ़रहाद थे लेकिन
पाँव से लहू को धो डालो
गर बाज़ी इश्क़ की बाज़ी है जो चाहो लगा दो डर कैसा