न आज लुत्फ़ कर इतना कि कल गुज़र न सके
वो रात जो कि तिरे गेसुओं की रात नहीं
ये आरज़ू भी बड़ी चीज़ है मगर हमदम
विसाल-ए-यार फ़क़त आरज़ू की बात नहीं
Rahat Indori
Wasi Shah
Mohsin Naqvi
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Anwar Masood
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Mir Taqi Mir
Jaun Eliya
Habib Jalib
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तीन आवाज़ें
वफ़ा-ए-वादा नहीं वादा-ए-दिगर भी नहीं
कब याद में तेरा साथ नहीं कब हात में तेरा हात नहीं
कब ठहरेगा दर्द ऐ दिल कब रात बसर होगी
ग़म-ब-दिल शुक्र-ब-लब मस्त ओ ग़ज़ल-ख़्वाँ चलिए
इंतिसाब
मुलाक़ात मिरी
लेनिन-ग्राड का गोरिस्तान
सबा के हाथ में नर्मी है उन के हाथों की
नज़्म
आज इक हर्फ़ को फिर ढूँडता फिरता है ख़याल
क़र्ज़-ए-निगाह-ए-यार अदा कर चुके हैं हम