न पूछ जब से तिरा इंतिज़ार कितना है
कि जिन दिनों से मुझे तेरा इंतिज़ार नहीं
तिरा ही अक्स है इन अजनबी बहारों में
जो तेरे लब तिरे बाज़ू तिरा कनार नहीं
Mohsin Naqvi
Habib Jalib
Faiz Ahmad Faiz
Mir Taqi Mir
Jaun Eliya
Wasi Shah
Allama Iqbal
Anwar Masood
Rahat Indori
Parveen Shakir
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आज की रात
शाएर लोग
किसी गुमाँ पे तवक़्क़ो' ज़ियादा रखते हैं
मोरी अर्ज सुनो
कुत्ते
ऐ रौशनियों के शहर
याद-ए-ग़ज़ाल-चश्माँ ज़िक्र-ए-समन-अज़ाराँ
सर-ए-वादी-ए-सीना
एक तराना मुजाहिदीन-ए-फ़िलिस्तीन के लिए
कुछ इश्क़ किया कुछ काम किया
न गँवाओ नावक-ए-नीम-कश दिल-ए-रेज़ा-रेज़ा गँवा दिया
तुम्हारी याद के जब ज़ख़्म भरने लगते हैं