फिर हश्र के सामाँ हुए ऐवान-ए-हवस में
बैठे हैं ज़विल-अद्ल गुनहगार खड़े हैं
हाँ जुर्म-ए-वफ़ा देखिए किस किस पे है साबित
वो सारे ख़ता-कार सर-ए-दार खड़े हैं
Habib Jalib
Javed Akhtar
Mir Taqi Mir
Faiz Ahmad Faiz
Parveen Shakir
Gulzar
Mohsin Naqvi
Jaun Eliya
Allama Iqbal
Ahmad Faraz
Anwar Masood
Rahat Indori
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कुछ पहले इन आँखों आगे क्या क्या न नज़ारा गुज़रे था
सब क़त्ल हो के तेरे मुक़ाबिल से आए हैं
शाम
मता-ए-लौह-ओ-क़लम छिन गई तो क्या ग़म है
वो जब भी करते हैं इस नुत्क़ ओ लब की बख़िया-गरी
कुछ इश्क़ किया कुछ काम किया
हज़ार दर्द शब-ए-आरज़ू की राह में है
ज़िंदाँ ज़िंदाँ शोर-ए-अनल-हक़ महफ़िल महफ़िल क़ुल-क़ुल-ए-मय
गिरानी-ए-शब-ए-हिज्राँ दो-चंद क्या करते
साल-गिरह
सोचने दो
नज़्म