रात ढलने लगी है सीनों में
आग सुल्गाओ आबगीनों में
दिल-ए-उश्शाक़ की ख़बर लेना
फूल खिलते हैं इन महीनों में
Wasi Shah
Rahat Indori
Parveen Shakir
Mir Taqi Mir
Jaun Eliya
Habib Jalib
Ahmad Faraz
Faiz Ahmad Faiz
Mohsin Naqvi
Javed Akhtar
Anwar Masood
Gulzar
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ऐ ज़ुल्म के मातो लब खोलो चुप रहने वालो चुप कब तक
ग़म-ए-जहाँ हो रुख़-ए-यार हो कि दस्त-ए-अदू
क्या करें
याद
फिर हश्र के सामाँ हुए ऐवान-ए-हवस में
दुनिया ने तेरी याद से बेगाना कर दिया
ये फ़स्ल उमीदों की हमदम
दो इश्क़
दिल-ए-मन मुसाफ़िर-ए-मन
इक़बाल
हमीं से अपनी नवा हम-कलाम होती रही
आए तो यूँ कि जैसे हमेशा थे मेहरबान