तुम्हारे हुस्न से रहती है हम-कनार नज़र
तुम्हारी याद से दिल हम-कलाम रहता है
रही फ़राग़त-ए-हिज्राँ तो हो रहेगा तय
तुम्हारी चाह का जो जो मक़ाम रहता है
Anwar Masood
Wasi Shah
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Ahmad Faraz
Jaun Eliya
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अब अपना इख़्तियार है चाहे जहाँ चलें
यूँ सजा चाँद कि झलका तिरे अंदाज़ का रंग
''आप की याद आती रही रात भर''
इश्क़ मिन्नत-कश-ए-क़रार नहीं
याद
हसरत-ए-दीद में गुज़राँ हैं ज़माने कब से
शरह-ए-फ़िराक़ मदह-ए-लब-ए-मुश्कबू करें
हम जो तारीक राहों में मारे गए
आख़िरी ख़त
सुरुद-ए-शबाना
सहल यूँ राह-ए-ज़िंदगी की है
पैरिस