इन दिनों रस्म-ओ-रह-ए-शहर-ए-निगाराँ क्या है
क़ासिदा क़ीमत-ए-गुल-गश्त-ए-बहाराँ क्या है
कू-ए-जानाँ है कि मक़्तल है कि मय-ख़ाना है
आज-कल सूरत-ए-बर्बादी-ए-याराँ क्या है
Habib Jalib
Parveen Shakir
Gulzar
Javed Akhtar
Allama Iqbal
Faiz Ahmad Faiz
Anwar Masood
Mir Taqi Mir
Wasi Shah
Rahat Indori
Jaun Eliya
Mohsin Naqvi
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तिरी उमीद तिरा इंतिज़ार जब से है
शफ़क़ की राख में जल बुझ गया सितारा-ए-शाम
नहीं शिकायत-ए-हिज्राँ कि इस वसीले से
लहू का सुराग़
हैराँ है जबीं आज किधर सज्दा रवा है
ढाका से वापसी पर
जैसे हम-बज़्म हैं फिर यार-ए-तरह-दार से हम
यक-ब-यक शोरिश-ए-फ़ुग़ाँ की तरह
न किसी पे ज़ख़्म अयाँ कोई न किसी को फ़िक्र रफ़ू की है
गाँव की सड़क
अंजाम
बे-दम हुए बीमार दवा क्यूँ नहीं देते