फ़ना निज़ामी कानपुरी कविता, ग़ज़ल तथा कविताओं का फ़ना निज़ामी कानपुरी

फ़ना निज़ामी कानपुरी कविता, ग़ज़ल तथा कविताओं का फ़ना निज़ामी कानपुरी
नामफ़ना निज़ामी कानपुरी
अंग्रेज़ी नामFana Nizami Kanpuri
जन्म की तारीख1922
मौत की तिथि1988
जन्म स्थानKanpur

ज़िंदगी नाम है इक जोहद-ए-मुसलसल का 'फ़ना'

यूँ दिखाता है आँखें हमें बाग़बाँ

वो आँख क्या जो आरिज़ ओ रुख़ पर ठहर न जाए

तू फूल की मानिंद न शबनम की तरह आ

तू कुछ तो मिरे ज़ब्त-ए-मोहब्बत का सिला दे

तिरे वादों पे कहाँ तक मिरा दिल फ़रेब खाए

तरतीब दे रहा था मैं फ़हरिस्त-ए-दुश्मनान

तर्क-ए-वतन के बाद ही क़द्र-ए-वतन हुई

तर्क-ए-तअल्लुक़ात को इक लम्हा चाहिए

सहता रहा जफ़ा-ए-दोस्त कहता रहा अदा-ए-दोस्त

साहिल के तमाशाई हर डूबने वाले पर

सब होंगे उस से अपने तआरुफ़ की फ़िक्र में

रिंद जन्नत में जा भी चुके

रहता है वहाँ ज़िक्र-ए-तुहूर-ओ-मय-ए-कौसर

क़ैद-ए-ग़म-ए-हयात भी क्या चीज़ है 'फ़ना'

मौजों के इत्तिहाद का आलम न पूछिए

मैं उस के सामने से गुज़रता हूँ इस लिए

मैं चला आया तिरा हुस्न-ए-तग़ाफ़ुल ले कर

कुछ दर्द की शिद्दत है कुछ पास-ए-मोहब्बत है

कोई समझेगा क्या राज़-ए-गुलशन

कोई पाबंद-ए-मोहब्बत ही बता सकता है

जल्वा हो तो जल्वा हो पर्दा हो तो पर्दा हो

जब सफ़ीना मौज से टकरा गया

इस तरह रहबर ने लूटा कारवाँ

गुल तो गुल ख़ार तक चुन लिए हैं

ग़म से नाज़ुक ज़ब्त-ए-ग़म की बात है

ग़ैरत-ए-अहल-ए-चमन को क्या हुआ

इक तुझ को देखने के लिए बज़्म में मुझे

दुनिया-ए-तसव्वुर हम आबाद नहीं करते

दुनिया पे ऐसा वक़्त पड़ेगा कि एक दिन

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