फ़रहत नदीम हुमायूँ कविता, ग़ज़ल तथा कविताओं का फ़रहत नदीम हुमायूँ

फ़रहत नदीम हुमायूँ कविता, ग़ज़ल तथा कविताओं का फ़रहत नदीम हुमायूँ
नामफ़रहत नदीम हुमायूँ
अंग्रेज़ी नामFarhat Nadeem Humayun

ये क्यूँ कहते हो राह-ए-इश्क़ पर चलना है हम को

तिरा दीदार हो आँखें किसी भी सम्त देखें

नहीं होती है राह-ए-इश्क़ में आसान मंज़िल

मिलना है अगर ख़ुद से तो फिर देर न करना

मेरा हर ख़्वाब तो बस ख़्वाब ही जैसा निकला

दिल ऐसा मकाँ है जो अगर टूट गया तो

ढूँडेंगे हर इक चीज़ में जीने की उमंगें

ये फुर्क़तों में लम्हा-ए-विसाल कैसे आ गया

था पहला सफ़र उस की रिफ़ाक़त भी नई थी

नए मिज़ाज की तश्कील करना चाहते हैं

न दौलत की तलब थी और न दौलत चाहिए है

मोहब्बत का ये रुख़ देखा नहीं था

मसअला आज मिरे इश्क़ का तू हल कर दे

कोई अहद-ए-वफ़ा भूला हुआ हूँ

जो तुझे पैकर-ए-सद-नाज़-ओ-अदा कहते हैं

है वही एक मेरे सिवा और मैं

हाल में जीने की तदबीर भी हो सकती है

ऐ कातिब-ए-तक़दीर ये तक़दीर में लिख दे

अब ज़िंदगी रो रो के गुज़ारेंगे नहीं हम

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