फ़ाज़िल जमीली कविता, ग़ज़ल तथा कविताओं का फ़ाज़िल जमीली

फ़ाज़िल जमीली कविता, ग़ज़ल तथा कविताओं का फ़ाज़िल जमीली
नामफ़ाज़िल जमीली
अंग्रेज़ी नामFazil Jamili
जन्म की तारीख1968
जन्म स्थानKarachi

ज़ियादा देर उसे देखना भी है 'फ़ाज़िल'

ज़िंदगी हो तो कई काम निकल आते हैं

तुम कभी एक नज़र मेरी तरफ़ भी देखो

सफ़ेद-पोशी-ए-दिल का भरम भी रखना है

सब अपने अपने दियों के असीर पाए गए

पुराने यार भी आपस में अब नहीं मिलते

मुद्दत के ब'अद आज मैं ऑफ़िस नहीं गया

मिसाल-ए-शम्अ जला हूँ धुआँ सा बिखरा हूँ

मिरे वजूद को परछाइयों ने तोड़ दिया

मिरे लिए न रुक सके तो क्या हुआ

मैं ही अपनी क़ैद में था और मैं ही एक दिन

मैं इक थका हुआ इंसान और क्या करता

मैं अपने आप से आगे निकलने वाला था

मैं अक्सर खो सा जाता हूँ गली-कूचों के जंगल में

इस कॉकटेल का तो नशा ही कुछ और है

हमारे कमरे में उस की यादें नहीं हैं 'फ़ाज़िल'

इक तअल्लुक़ था जिसे आग लगा दी उस ने

अब कौन जा के साहिब-ए-मिम्बर से ये कहे

सरहदें

दरख़्तों के लिए

ज़िंदगानी को अदम-आबाद ले जाने लगा

तुम ने पूछा है तो अहवाल बता देते हैं

सुख़न जो उस ने कहे थे गिरह से बाँध लिए

शौक़ीन मिज़ाजों के रंगीन तबीअ'त के

सफ़ेद-पोशी-ए-दिल का भरम भी रखना है

मुझे उदास कर गए हो ख़ुश रहो

मिसाल-ए-शम्अ जला हूँ धुआँ सा बिखरा हूँ

मिलने का भी आख़िर कोई इम्कान बनाते

मिरे वजूद को परछाइयों ने तोड़ दिया

मेरे होंटों पे तेरे नाम की लर्ज़िश तो नहीं

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