नाव न डूबी दरिया में
नाव में दरिया डूब गया
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लोग किनारे आन लगे
दरिया में ये नाव किस तरफ़ है
समन-बरों से चमन दौलत-ए-नुमू माँगे
कहाँ वो ज़ब्त के दावे कहाँ ये हम 'गौहर'
उजले मैले पेश हुए
दुखी दिलों में, दुखी साथियों में रहते थे
लहजा तो बदल चुभती हुई बात से पहले
कैसे डूबा डूब गया
दिल सिलसिला-ए-शौक़ की तश्हीर भी चाहे
सर पर कोई आसमान रख दे
इक साया-ए-शाम याद आया
मता-ए-इश्क़ ज़रा और सर्फ़-ए-नाज़ तो हो