ये सच है मिल बैठने की हद तक तो काम आई है ख़ुश-गुमानी
ये सच है मिल बैठने की हद तक तो काम आई है ख़ुश-गुमानी
मगर दिलों में ये दोस्ती की नुमूद है राहत-ए-बयाँ से
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ये सच है मिल बैठने की हद तक तो काम आई है ख़ुश-गुमानी
मगर दिलों में ये दोस्ती की नुमूद है राहत-ए-बयाँ से
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