ज़ोलीदा मुअम्मा है जहान-ए-पुर-पेच
ऐ दिल न सितम उस के कशाइश में खेंच
अच्छा है ख़याल-ए-दहन-ओ-फ़िक्र-ए-कमर
दुनिया हेच अस्त ओ कार-ए-दुनिया हमा-हेच
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है दोस्ती-ए-आल-ए-अबा रोने से
ख़ुदा से डरते तो ख़ौफ़-ए-ख़ुदा न करते हम
ये वहम-ए-दुई दिल से जुदा करना था
शह कहते थे अफ़्सोस न कहना माने
क्या कहें तुझ से हम वफ़ा क्या है
वो ज़िक्र था तुम्हारा जो इंतिहा से गुज़रा
रिश्ता-ए-रस्म-ए-मोहब्बत मत तोड़
हर ज़ख़्म-ए-जिगर खाया है दिल पर तन कर
आए क्या तेरा तसव्वुर ध्यान में
दिल से मुझे आने की है आन की आहट
बुत-ख़ाने की उल्फ़त है न काबे की मोहब्बत
न हो आरज़ू कुछ यही आरज़ू है