गुलज़ार बुख़ारी कविता, ग़ज़ल तथा कविताओं का गुलज़ार बुख़ारी

गुलज़ार बुख़ारी कविता, ग़ज़ल तथा कविताओं का गुलज़ार बुख़ारी
नामगुलज़ार बुख़ारी
अंग्रेज़ी नामGulzar Bukhari
जन्म की तारीख1949

उक़ाबी रूह

रज़ा

फ़ाल

ज़ाब्ते और ही मिस्दाक़ पे रक्खे हुए हैं

रंग-ओ-बू का शौक़ आशोब-ए-हवा में ले गया

कौन पस-ए-मंज़र में उजड़े पैकरों को देखता

जाने वालों की कमी पूरी कभी होती नहीं

चलूँ तो मस्लहत ये कह के पाँव थाम लेती है

ज़ाहिर मुसाफ़िरों का हुनर हो नहीं रहा

ज़ाब्ते और ही मिस्दाक़ पे रक्खे हुए हैं

वफ़ा की तश्हीर करने वाला फ़रेब-गर है सितम तो ये है

उस का चेहरा भी चमक में न मिसाली निकला

तिरी उमीदों का साथ देगी इनायत-ए-बर्ग-ओ-बार कब तक

तिरी तलब ने फ़लक पे सब के सफ़र का अंजाम लिख दिया है

मोहब्बत के सिवा हर्फ़-ओ-बयाँ से कुछ नहीं होता

कितनी सदियाँ ना-रसी की इंतिहा में खो गईं

हम शाद हों क्या जब तक आज़ार सलामत है

दिए से यूँ दिया जलता रहेगा

अक्स-ए-रौशन तिरा आईना-ए-जाँ में रक्खा

आँधी में बिसात उलट गई है

आईने का मुँह भी हैरत से खुला रह जाएगा

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