हबीब अहमद सिद्दीक़ी कविता, ग़ज़ल तथा कविताओं का हबीब अहमद सिद्दीक़ी

हबीब अहमद सिद्दीक़ी कविता, ग़ज़ल तथा कविताओं का हबीब अहमद सिद्दीक़ी
नामहबीब अहमद सिद्दीक़ी
अंग्रेज़ी नामHabeeb Ahmad Siddiqui
जन्म की तारीख1908

ये महर-ओ-माह-ओ-कवाकिब की बज़्म-ए-ला-महदूद

या दैर है या काबा है या कू-ए-बुताँ है

वो करम हो कि सितम एक तअल्लुक़ है ज़रूर

वो भला कैसे बताए कि ग़म-ए-हिज्र है क्या

तस्लीम है सआदत-ए-होश-ओ-ख़िरद मगर

तग-ओ-ताज़-ए-पैहम है मीरास-ए-आदम

रानाई-ए-बहार पे थे सब फ़रेफ़्ता

निगाह-ए-लुत्फ़ को उल्फ़त-शिआर समझे थे

न हो कुछ और तो वो दिल अता हो

मुझ को एहसास-ए-रंग-ओ-बू न हुआ

मेरे लिए जीने का सहारा है अभी तक

मौत के ब'अद भी मरने पे न राज़ी होना

कितने सनम ख़ुद हम ने तराशे

कभी बे-कली कभी बे-दिली है अजीब इश्क़ की ज़िंदगी

जो काम करने हैं उस में न चाहिए ताख़ीर

जिस के वास्ते बरसों सई-ए-राएगाँ की है

जब कोई फ़ित्ना-ए-अय्याम नहीं होता है

इज़हार-ए-ग़म किया था ब-उम्मीद-ए-इल्तिफ़ात

हज़ारों तमन्नाओं के ख़ूँ से हम ने

हर क़दम पर है एहतिसाब-ए-अमल

है नवेद-ए-बहार हर लब पर

हाए बे-दाद-ए-मोहब्बत कि ये ईं बर्बादी

गुलों से इतनी भी वाबस्तगी नहीं अच्छी

फ़ैज़-ए-अय्याम-ए-बहार अहल-ए-क़फ़स क्या जानें

एक काबा के सनम तोड़े तो क्या

इक फ़स्ल-ए-गुल को ले के तही-दस्त क्या करें

चश्म-ए-सय्याद पे हर लहज़ा नज़र रखता है

बताए कौन किसी को निशान-ए-मंज़िल-ज़ीस्त

ब-सद अदा-ए-दिलबरी है इल्तिजा-ए-मय-कशी

अपने दामन में एक तार नहीं

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