हबीब जालिब कविता, ग़ज़ल तथा कविताओं का हबीब जालिब (page 4)

हबीब जालिब कविता, ग़ज़ल तथा कविताओं का हबीब जालिब (page 4)
नामहबीब जालिब
अंग्रेज़ी नामHabib Jalib
जन्म की तारीख1929
मौत की तिथि1993
जन्म स्थानLahore

उस गली के लोगों को मुँह लगा के पछताए

तुम से पहले वो जो इक शख़्स यहाँ तख़्त-नशीं था

तू रंग है ग़ुबार हैं तेरी गली के लोग

तेरी आँखों का अजब तुर्फ़ा समाँ देखा है

तिरे माथे पे जब तक बल रहा है

शेर से शाइरी से डरते हैं

शे'र होता है अब महीनों में

शहर वीराँ उदास हैं गलियाँ

फिर कभी लौट कर न आएँगे

फिर दिल से आ रही है सदा उस गली में चल

नज़र नज़र में लिए तेरा प्यार फिरते हैं

न डगमगाए कभी हम वफ़ा के रस्ते में

'मीर'-ओ-'ग़ालिब' बने 'यगाना' बने

मावरा-ए-जहाँ से आए हैं

महताब-सिफ़त लोग यहाँ ख़ाक-बसर हैं

लोग गीतों का नगर याद आया

क्या क्या लोग गुज़र जाते हैं रंग-बिरंगी कारों में

कुछ लोग ख़यालों से चले जाएँ तो सोएँ

कितना सुकूत है रसन-ओ-दार की तरफ़

कौन बताए कौन सुझाए कौन से देस सिधार गए

कराहते हुए इंसान की सदा हम हैं

कम पुराना बहुत नया था फ़िराक़

कैसे कहें कि याद-ए-यार रात जा चुकी बहुत

कहीं आह बन के लब पर तिरा नाम आ न जाए

कभी तो मेहरबाँ हो कर बुला लें

जीवन मुझ से मैं जीवन से शरमाता हूँ

झूटी ख़बरें घड़ने वाले झूटे शे'र सुनाने वाले

जागने वालो ता-ब-सहर ख़ामोश रहो

जब कोई कली सेहन-ए-गुलिस्ताँ में खिली है

इस शहर-ए-ख़राबी में ग़म-ए-इश्क़ के मारे

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