Friendship Poetry of Habib Jalib

Friendship Poetry of Habib Jalib
नामहबीब जालिब
अंग्रेज़ी नामHabib Jalib
जन्म की तारीख1929
मौत की तिथि1993
जन्म स्थानLahore

रोए भगत कबीर

ज़ाबता

लोग डरते हैं दुश्मनी से तिरी

छोड़ इस बात को ऐ दोस्त कि तुझ से पहले

आने वाली बरखा देखें क्या दिखलाए आँखों को

ज़ुल्मत को ज़िया सरसर को सबा बंदे को ख़ुदा क्या लिखना

उट्ठो मरने का हक़ इस्तिमाल करो

मुशीर

मता-ए-ग़ैर

दास्तान-ए-दिल-ए-दो-नीम

शेर से शाइरी से डरते हैं

शे'र होता है अब महीनों में

न डगमगाए कभी हम वफ़ा के रस्ते में

'मीर'-ओ-'ग़ालिब' बने 'यगाना' बने

कुछ लोग ख़यालों से चले जाएँ तो सोएँ

कौन बताए कौन सुझाए कौन से देस सिधार गए

कम पुराना बहुत नया था फ़िराक़

कैसे कहें कि याद-ए-यार रात जा चुकी बहुत

गुलशन की फ़ज़ा धुआँ धुआँ है

'फ़ैज़' और 'फ़ैज़' का ग़म भूलने वाला है कहीं

इक शख़्स बा-ज़मीर मिरा यार 'मुसहफ़ी'

दिल-ए-पुर-शौक़ को पहलू में दबाए रक्खा

दिल पर जो ज़ख़्म हैं वो दिखाएँ किसी को क्या

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