तेरी बस्ती में जिधर से गुज़रे
हाए क्या लोग नज़र से गुज़रे
कितनी यादों ने हमें थाम लिया
हम जो इस राहगुज़र से गुज़रे
Wasi Shah
Anwar Masood
Habib Jalib
Jaun Eliya
Parveen Shakir
Allama Iqbal
Javed Akhtar
Gulzar
Faiz Ahmad Faiz
Rahat Indori
Mir Taqi Mir
Ahmad Faraz
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गुलशन की फ़ज़ा धुआँ धुआँ है
जागने वालो ता-ब-सहर ख़ामोश रहो
बातें तो कुछ ऐसी हैं कि ख़ुद से भी न की जाएँ
उन के आने के बाद भी 'जालिब'
एक याद
हम ने सुना था सहन-ए-चमन में कैफ़ के बादल छाए हैं
दस्तूर
जिन की ख़ातिर शहर भी छोड़ा जिन के लिए बदनाम हुए
लाख कहते रहें ज़ुल्मत को न ज़ुल्मत लिखना
क्या क्या लोग गुज़र जाते हैं रंग-बिरंगी कारों में
भए कबीर उदास
अश्क आँखों में अब हैं आए से