फिर लुत्फ़-ए-ख़लिश देने लगी याद किसी की

फिर लुत्फ़-ए-ख़लिश देने लगी याद किसी की

फिर भूल गई याद को बे-दाद किसी की

फिर रंज-ओ-अलम को है किसी का ये इशारा

उजड़ी हुई बस्ती करो आबाद किसी की

फिर ख़त का जवाब एक वही तंज़ का मिस्रा

मजबूर है क्यूँ फ़ितरत-ए-आज़ाद किसी की

फिर दे के ख़ुशी हम उसे नाशाद करें क्यूँ

ग़म ही से तबीअत है अगर शाद किसी की

फिर पंद-ओ-नसीहत के लिए आने लगे दोस्त

वो दोस्त जो करते नहीं इमदाद किसी की

फिर शहर में चर्चा है नई संग-ज़नी का

अख़बार में फिर दर्ज है रूदाद किसी की

फिर बाब-ए-असर का कोई रस्ता नहीं मिलता

फिर भटकी हुई फिरती है फ़रियाद किसी की

फिर ख़ाक उड़ाते हुए फिरते हैं बगूले

फिर दश्त में मिट्टी हुई बर्बाद किसी की

फिर मैं भी करूँ क्यूँ न 'हफ़ीज़' इस पे तसल्लुत

जागीर नहीं तब्-ए-ख़ुदा-दाद किसी की

(944) Peoples Rate This

Your Thoughts and Comments

Phir Lutf-e-KHalish Dene Lagi Yaad Kisi Ki In Hindi By Famous Poet Hafeez Jalandhari. Phir Lutf-e-KHalish Dene Lagi Yaad Kisi Ki is written by Hafeez Jalandhari. Complete Poem Phir Lutf-e-KHalish Dene Lagi Yaad Kisi Ki in Hindi by Hafeez Jalandhari. Download free Phir Lutf-e-KHalish Dene Lagi Yaad Kisi Ki Poem for Youth in PDF. Phir Lutf-e-KHalish Dene Lagi Yaad Kisi Ki is a Poem on Inspiration for young students. Share Phir Lutf-e-KHalish Dene Lagi Yaad Kisi Ki with your friends on Twitter, Whatsapp and Facebook.