शीशा टूटे ग़ुल मच जाए
दिल टूटे आवाज़ न आए
Allama Iqbal
Mir Taqi Mir
Javed Akhtar
Ahmad Faraz
Wasi Shah
Gulzar
Faiz Ahmad Faiz
Habib Jalib
Parveen Shakir
Rahat Indori
Jaun Eliya
Anwar Masood
Love Poetry
Funny Poetry
Sad Poetry
Rain Poetry
Sharabi Poetry
Friends Poetry
(8151) Peoples Rate This
अभी से होश उड़े मस्लहत-पसंदों के
बाद-ए-सबा ये ज़ुल्म ख़ुदा-रा न कीजियो
कौन कहता है कि महरूमी का शिकवा न करो
तमाम रात आँसुओं से ग़म उजालता रहा
ये हुनर भी बड़ा ज़रूरी है
गुदाज़-ए-दिल से मिला सोज़िश-ए-जिगर से मिला
क्या जाने क्या सबब है कि जी चाहता है आज
पी कर चैन अगर आया भी कितनी देर को आएगा
मय-ख़ाने की सम्त न देखो
हाए वो नग़्मा जिस का मुग़न्नी
इक अजनबी के हाथ में दे कर हमारा हाथ
बे-सहारों का इंतिज़ाम करो