दिल की कुदूरतें अगर इंसाँ से दूर हों

दिल की कुदूरतें अगर इंसाँ से दूर हों

सारे निफ़ाक़ गब्र ओ मुसलमाँ से दूर हों

नज़दीक आ चुकी है सवारी बहार की

बर्ग-ए-ख़िज़ाँ-रसीदा गुलिस्ताँ से दूर हों

दिल इस क़दर गुदाज़ है बरसों ही ग़म रहे

आँसू जो अपने दीदा-ए-गिर्यां से दूर हों

मिटता नहीं नविश्ता-ए-क़िस्मत किसी तरह

जौहर कभी न ख़ंजर-ए-बुर्राँ से दूर हों

फ़स्ल-ए-बहार आई है कपड़ों को फाड़िए

दिल के बुख़ार दस्त-ओ-गरेबाँ से दूर हों

छिड़काव का इरादा है चश्म-ए-पुर-आब का

गर्द-ओ-ग़ुबार कूचा-ए-जानाँ से दूर हों

ये तंग कर रहा है तो उलझा रहे हैं वो

दामन के पाट पहले गरेबाँ से दूर हों

वहश ओ तुयूर को मिरी आहें करें हलाक

आब-ओ-गियाह कोह-ओ-बयाबाँ से दूर हों

मुमकिन नहीं नजात असीरान-ए-इश्क़ को

ये क़ैदी वो नहीं कि जो ज़िंदाँ से दूर हों

मुद्दत के ब'अद आए हैं सहरा में ऐ जुनूँ

दो आबले तो ख़ार-ए-मुग़ीलाँ से दूर हों

गर्दिश से चश्म-ए-यार के 'आतिश' अजब नहीं

जो जो अमल कि गर्दिश-ए-दौराँ से दूर हों

(962) Peoples Rate This

Your Thoughts and Comments

Dil Ki Kuduraten Agar Insan Se Dur Hon In Hindi By Famous Poet Haidar Ali Aatish. Dil Ki Kuduraten Agar Insan Se Dur Hon is written by Haidar Ali Aatish. Complete Poem Dil Ki Kuduraten Agar Insan Se Dur Hon in Hindi by Haidar Ali Aatish. Download free Dil Ki Kuduraten Agar Insan Se Dur Hon Poem for Youth in PDF. Dil Ki Kuduraten Agar Insan Se Dur Hon is a Poem on Inspiration for young students. Share Dil Ki Kuduraten Agar Insan Se Dur Hon with your friends on Twitter, Whatsapp and Facebook.