हमीद जालंधरी कविता, ग़ज़ल तथा कविताओं का हमीद जालंधरी

हमीद जालंधरी कविता, ग़ज़ल तथा कविताओं का हमीद जालंधरी
नामहमीद जालंधरी
अंग्रेज़ी नामHameed Jalandhari

उन की जफ़ाओं पर भी वफ़ा का हुआ गुमाँ

सीने में राज़-ए-इश्क़ छुपाया न जाएगा

फिर गई इक और ही दुनिया नज़र के सामने

किस शान से गए हैं शहीदान-ए-कू-ए-यार

हुई मुद्दत कि उन को ख़्वाब में भी अब नहीं देखा

भूली नहीं उजड़े हुए गुलशन की बहारें

आने लगे हैं वो भी अयादत के वास्ते

सीने में राज़-ए-इश्क़ छुपाया न जाएगा

किस वहम में असीर तिरे मुब्तला हुए

कल शाम लब-ए-बाम जो वो जल्वा-नुमा था

कैसा ग़ज़ब ये ऐ दिल-ए-पुर-जोश कर दिया

कभी अपनों की यूरिश थी कभी ग़ैरों का रेला था

ऐ दोस्त दर्द-ए-दिल का मुदावा किया न जाए

आ के वो मुझ ख़स्ता-जाँ पर यूँ करम फ़रमा गया

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