हसन अख्तर जलील कविता, ग़ज़ल तथा कविताओं का हसन अख्तर जलील

हसन अख्तर जलील कविता, ग़ज़ल तथा कविताओं का हसन अख्तर जलील
नामहसन अख्तर जलील
अंग्रेज़ी नामHasan Akhtar Jaleel

सफ़ीने डूब गए कितने दिल के सागर में

मुझ को 'जलील' कौन कहेगा शिकस्ता-दिल

मैं न दरिया हूँ न साहिल न सफ़ीना न भँवर

हवा के दोश पे उड़ती हुई ख़बर तो सुनो

ये रात काश इसी दिलकशी से ढलती रहे

ये रात काश इसी दिलकशी से ढलती रहे

सीने में चराग़ जल रहा है

शब की दहलीज़ से किस हाथ ने फेंका पत्थर

रात लम्बी भी है और तारीक भी शब-गुज़ारी का सामाँ करो दोस्तो

फाँदती फिरती हैं एहसास के जंगल रूहें

निभाओ अब उसे जो वज़्अ भी बना ली है

ख़ला के दश्त में ये तुर्फ़ा माजरा भी है

कर के संग-ए-ग़म-ए-हस्ती के हवाले मुझ को

जलती हुई रुतों के ख़रीदार कौन हैं

इक भयानक तीरगी है रौशनी ऐ रौशनी

दिल को आमादा-ए-वफ़ा रखिए

दिल की तरफ़ निगाह-ए-तग़ाफ़ुल रहा करे

बरसों तिरी तलब में सफ़ीना रवाँ रहा

आरज़ू की हमा-हामी और मैं

आई पतझड़ गिरे फ़स्ल-ए-गुल के निशाँ रात-भर में

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