आओ मिल बैठ कर हँसें बोलें
नहीं मालूम कब जुदा हो जाएँ
Parveen Shakir
Javed Akhtar
Wasi Shah
Anwar Masood
Rahat Indori
Jaun Eliya
Mohsin Naqvi
Allama Iqbal
Mir Taqi Mir
Faiz Ahmad Faiz
Habib Jalib
Ahmad Faraz
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फिर फ़ज़ा धुँदला गई आसार हैं तूफ़ान के
जो पा लिया तुझे मैं ख़ुद को ढूँडने निकला
इस का नहीं है ग़म कोई जाँ से अगर गुज़र गए
उम्र भर बहते हैं ग़म के तुंद-रौ धारों के साथ
हज़ीं तुम अपनी कभी वज़्अ भी सँवारोगे
तुंदी-ए-सैल-ए-वक़्त में ये भी है कोई ज़िंदगी
तुलूअ होगा अभी कोई आफ़्ताब ज़रूर
हैरान सारा शहर था जिस की उड़ान पर
मिरे कलाम में पेचीदा इस्तिआ'रा नहीं
आँसू को अपने दीदा-ए-तर से निकालना
क़ल्ब को बर्फ़-आश्ना न करो