हिज्र नाज़िम अली ख़ान कविता, ग़ज़ल तथा कविताओं का हिज्र नाज़िम अली ख़ान
नाम | हिज्र नाज़िम अली ख़ान |
---|---|
अंग्रेज़ी नाम | Hijr Nazim Ali Khan |
जन्म की तारीख | 1880 |
मौत की तिथि | 1914 |
कविताएं
Ghazal 9
Couplets 11
Love 10
Sad 16
Heart Broken 12
Bewafa 3
Hope 4
Friendship 4
Islamic 2
Sufi 1
ख्वाब 5
Sharab 3
शब-ए-फ़िराक़ कुछ ऐसा ख़याल-ए-यार रहा
न दर्द था न ख़लिश थी न तिलमिलाना था
मुझे वो याद करते हैं ये कह कर
क्या रश्क है कि एक का है एक मुद्दई
कुछ ख़बर है तुझे ओ चैन से सोने वाले
कहेगी हश्र के दिन उस की रहमत-ए-बे-हद
कभी ये फ़िक्र कि वो याद क्यूँ करेंगे हमें
हज़ार रंज हैं अब ये भी इक ज़माना है
अक्स से अपने वो यूँ कहते हैं आईने में
ऐ हिज्र वक़्त टल नहीं सकता है मौत का
आया भी कोई दिल में गया भी कोई दिल से
वो ये कहते हैं ज़माने की तमन्ना मैं हूँ
वो शोख़ बाम पे जब बे-नक़ाब आएगा
तुम भी निगाह में हो अदू भी नज़र में है
सितम तीर-ए-निगाह-ए-दिलरुबा था
शब-ए-फ़िराक़ कुछ ऐसा ख़याल-ए-यार रहा
मुझे फ़रेब-ए-वफ़ा दे के दम में लाना था
कुछ मोहब्बत में अजब शेव-ए-दिल-दार रहा
दिल फ़ुर्क़त-ए-हबीब में दीवाना हो गया