Friendship Poetry
सर पर किसी ग़रीब के नाचार गिर पड़े
ग़ुलाम हुसैन साजिद
तेज़ है मेरा क़लम तलवार से
एज़ाज़ काज़मी
फूलों से सजा इक सेज दिखा
असरा रिज़वी
सहमा है आसमान ज़मीं भी उदास है
दाऊद मोहसिन
न सारे ऐब हैं ऐब और हुनर हुनर भी नहीं
फ़रहत अली ख़ान
शबाब आ गया उस पर शबाब से पहले
ए जी जोश
इस्तिआ'रा
हारिस ख़लीक़
मैं ने बाग़ की जानिब पीठ कर ली
जवाज़ जाफ़री
रोए भगत कबीर
हबीब जालिब
'मजाज़' की मौत पर
द्वारका दास शोला
तुम्हारे लब पे नाम आया हमारा
अमित सतपाल तनवर
हक़ीक़त है कि नन्हा सा दिया हूँ
वलीउल्लाह वली
ज़मीं से ता-ब-फ़लक कोई फ़ासला भी नहीं
आरिफ़ अब्दुल मतीन
क्यूँ यूरिश-ए-तरब में भी ग़म याद आ गए
एहतिशाम हुसैन
पहले-पहल लड़ेंगे तमस्ख़ुर उड़ाएँगे
अली ज़रयून
न तीरगी के लिए हूँ न रौशनी के लिए
ऐन सलाम
ये जहान-ए-आब-ओ-गिल लगता है इक माया मुझे
अहमद अली बर्क़ी आज़मी
तस्वीर तेरी यूँ ही रहे काश जेब में
आमिर अमीर
दिल से अरमाँ निकल रहे हैं
अख़्तर सईद
जब जब मैं ज़िंदगी की परेशानियों में था
रौशनी बन के सितारों में रवाँ रहते हैं
अर्श सिद्दीक़ी
मैं किस से पूछता कि भला क्या कमी हुई
नईम गिलानी
देने वाले तुझे देना है तो इतना दे दे
संजय मिश्रा शौक़
दुखती है रूह पाँव को लाचार देख कर
बिमल कृष्ण अश्क
हश्र-ए-ज़ुल्मात से दिल डरता है
महमूद शाम
इक तेरी बे-रुख़ी से ज़माना ख़फ़ा हुआ
अर्श सिद्दीक़ी
न आए काम किसी के जो ज़िंदगी क्या है
अहमद अली बर्क़ी आज़मी
कई लम्हे
फ़ैसल हाश्मी
मेरी दोस्त
हरबंस मुखिया
जवाँ होता बुढ़ापा
ममता तिवारी