Friendship Poetry (page 50)
बाक़ी जहाँ में क़ैस न फ़रहाद रह गया
दाग़ देहलवी
बात मेरी कभी सुनी ही नहीं
दाग़ देहलवी
अजब अपना हाल होता जो विसाल-ए-यार होता
दाग़ देहलवी
अच्छी सूरत पे ग़ज़ब टूट के आना दिल का
दाग़ देहलवी
किसी ने बा-वफ़ा समझा किसी ने बेवफ़ा समझा
डी. राज कँवल
आओ हुस्न-ए-यार की बातें करें
चराग़ हसन हसरत
जब से तेरा करम है बंदा-नवाज़
चराग़ हसन हसरत
आओ हुस्न-ए-यार की बातें करें
चराग़ हसन हसरत
जो आँसुओं को न चमकाए वो ख़ुशी क्या है
चरख़ चिन्योटी
हुस्न के जल्वे लुटाए तिरी रा'नाई ने
चरख़ चिन्योटी
फ़ज़ा-ए-ना-उमीदी में उमीद-अफ़ज़ा पयाम आया
चरख़ चिन्योटी
बे-ख़ुदी में है न वो पी कर सँभल जाने में है
चरख़ चिन्योटी
बात कहने के लिए बात बनाई न गई
चरख़ चिन्योटी
बात कहने के लिए बात बनाई न गई
चरख़ चिन्योटी
अक़्ल हैरान है रहमत का तक़ाज़ा क्या है
चरख़ चिन्योटी
एक मरकज़ पे सिमट आई है सारी दुनिया
चरण सिंह बशर
आइना कौन है कुछ पता तो चले
चरण सिंह बशर
समंदर का सुकूत
चन्द्रभान ख़याल
गुम-शुदा आदमी का इंतिज़ार
चन्द्रभान ख़याल
ज़िंदगी की यही कहानी है
चाँदनी पांडे
एक मुद्दत से उसे देखा नहीं
चाँदनी पांडे
फ़ित्ना-ए-रोज़गार की बातें
चंद्रभान कैफ़ी देहल्वी
हम से यूँ बे-रुख़ी से मिलते हैं
चमन लाल चमन
ख़ुदा ने इल्म बख़्शा है अदब अहबाब करते हैं
चकबस्त ब्रिज नारायण
अगर दर्द-ए-मोहब्बत से न इंसाँ आश्ना होता
चकबस्त ब्रिज नारायण
नए झगड़े निराली काविशें ईजाद करते हैं
चकबस्त ब्रिज नारायण
न कोई दोस्त दुश्मन हो शरीक-ए-दर्द-ओ-ग़म मेरा
चकबस्त ब्रिज नारायण
अगर दर्द-ए-मोहब्बत से न इंसाँ आश्ना होता
चकबस्त ब्रिज नारायण
आँखों को अब निगाह की आदत नहीं रही
बुशरा हाश्मी
सोज़-ए-फ़िराक़ दिल में छुपाए हुए हैं हम
बबल्स होरा सबा