Heart Broken Poetry (page 206)
आँखें मेरी क्या ढूँडती हैं
बदनाम नज़र
टपकते शो'लों की बरसात में नहाउँगा
बदनाम नज़र
जो झुक के मिलते थे जलसों में मेहरबाँ की तरह
बदनाम नज़र
हयात ढूँढ रहा हूँ क़ज़ा की राहों में
बदनाम नज़र
दीवार-ओ-दर का नाम था कोई मकाँ न था
बदनाम नज़र
बाग़-ए-दिल में कोई ग़ुंचा न खिला तेरे बा'द
बदनाम नज़र
मुझ को नहीं मालूम कि वो कौन है क्या है
बदीउज़्ज़माँ ख़ावर
महसूस हो रहा है जो ग़म मेरी ज़ात का
बदीउज़्ज़माँ ख़ावर
खड़ा था कौन कहाँ कुछ पता चला ही नहीं
बदीउज़्ज़माँ ख़ावर
कब बयाबाँ राह में आया ये समझा ही नहीं
बदीउज़्ज़माँ ख़ावर
जिसे भी देखिए प्यासा दिखाई देता है
बदीउज़्ज़माँ ख़ावर
जले हैं दिल न चराग़ों ने रौशनी की है
बदीउज़्ज़माँ ख़ावर
है बहुत मुश्किल निकलना शहर के बाज़ार में
बदीउज़्ज़माँ ख़ावर
भागते सूरज को पीछे छोड़ कर जाएँगे हम
बदीउज़्ज़माँ ख़ावर
हम ने आप के ग़म को हम-सफ़र बनाया है
बदर जमाली
हिज्र में जो अश्क-ए-चश्म-ए-तर गिरा
बदर जमाली
थकन से चूर है सारा वजूद अब मेरा
बाबर रहमान शाह
दिल से आख़िर चराग़-ए-वस्ल बुझा
बाबर रहमान शाह
नहीं नहीं ये मिरा अक्स हो नहीं सकता
बाबर रहमान शाह
मान लो साहिबो कहा मेरा
बाबर रहमान शाह
दिल ने हम से अजब ही काम लिया
बाबर रहमान शाह
वही जिंस-ए-वफ़ा आख़िर फ़राहम होती जाती है
बीएस जैन जौहर
फिर किसी शख़्स की याद आई है
बीएस जैन जौहर
नग़्मे तड़प रहे हैं दिल-ए-बे-क़रार में
बीएस जैन जौहर
जाने फिर तुम से मुलाक़ात कभी हो कि न हो
बीएस जैन जौहर
जाने फिर तुम से मुलाक़ात कभी हो कि न हो
बीएस जैन जौहर
घटा सावन की उमडी आ रही है
बीएस जैन जौहर
घटा सावन की उमडी आ रही है
बीएस जैन जौहर
घर में रहते हुए डर लगता है
बीएस जैन जौहर
घर में रहते हुए डर लगता है
बीएस जैन जौहर