Heart Broken Poetry (page 411)
वादा-ए-बादा-ए-अतहर का भरोसा कब तक
आग़ा अकबराबादी
ता-मर्ग मुझ से तर्क न होगी कभी नमाज़
आग़ा अकबराबादी
शिकायत मुझ को दोनों से है नासेह हो कि वाइज़ हो
आग़ा अकबराबादी
ओ सितमगर तिरी तलवार का धब्बा छट जाए
आग़ा अकबराबादी
किसी को कोसते क्यूँ हो दुआ अपने लिए माँगो
आग़ा अकबराबादी
जुनूँ के हाथ से है इन दिनों गरेबाँ तंग
आग़ा अकबराबादी
हम न कहते थे कि सौदा ज़ुल्फ़ का अच्छा नहीं
आग़ा अकबराबादी
देखिए पार हो किस तरह से बेड़ा अपना
आग़ा अकबराबादी
दश्त-ए-वहशत-ख़ेज़ में उर्यां है 'आग़ा' आप ही
आग़ा अकबराबादी
दर-ब-दर फिरने ने मेरी क़द्र खोई ऐ फ़लक
आग़ा अकबराबादी
वो कहते हैं उट्ठो सहर हो गई
आग़ा अकबराबादी
तिरे जलाल से ख़ुर्शीद को ज़वाल हुआ
आग़ा अकबराबादी
सिक्का-ए-दाग़-ए-जुनूँ मिलते जो दौलत माँगता
आग़ा अकबराबादी
शिद्दत-ए-ज़ात ने ये हाल बनाया अपना
आग़ा अकबराबादी
सर्व-क़द लाला-रुख़ ओ ग़ुंचा-दहन याद आया
आग़ा अकबराबादी
पाँव फिर होवेंगे और दश्त-ए-मुग़ीलाँ होगा
आग़ा अकबराबादी
नुमूद-ए-क़ुदरत-ए-पर्वरदिगार हम भी हैं
आग़ा अकबराबादी
निगाहों में इक़रार सारे हुए हैं
आग़ा अकबराबादी
नमाज़ कैसी कहाँ का रोज़ा अभी मैं शग़्ल-ए-शराब में हूँ
आग़ा अकबराबादी
नहीं मुमकिन कि तिरे हुक्म से बाहर मैं हूँ
आग़ा अकबराबादी
मज़ा है इम्तिहाँ का आज़मा ले जिस का जी चाहे
आग़ा अकबराबादी
मलते हैं हाथ, हाथ लगेंगे अनार कब
आग़ा अकबराबादी
मद्दाह हूँ मैं दिल से मोहम्मद की आल का
आग़ा अकबराबादी
ख़ुद मज़ेदार तबीअ'त है तो सामाँ कैसा
आग़ा अकबराबादी
जीते-जी के आश्ना हैं फिर किसी का कौन है
आग़ा अकबराबादी
जा लड़ी यार से हमारी आँख
आग़ा अकबराबादी
हज़ार जान से साहब निसार हम भी हैं
आग़ा अकबराबादी
हमारे सामने कुछ ज़िक्र ग़ैरों का अगर होगा
आग़ा अकबराबादी
दिल में तिरे ऐ निगार क्या है
आग़ा अकबराबादी
दौर साग़र का चले साक़ी दोबारा एक और
आग़ा अकबराबादी