देशभक्तिपूर्ण Poetry (page 2)
हर मुश्किल आसान बनाने वाला था
इफ़्तिख़ार फलक काज़मी
रात भर दर्द की बरसात में धोई हुई सुब्ह
इफ़्तिख़ार बुख़ारी
मुल्क-ए-सुख़न में दर्द की दौलत को क्या हुआ
इफ़्तिख़ार आरिफ़
किसी के हाथ कहाँ ये ख़ज़ाना आता है
इदरीस बाबर
सुना है डूब गई बे-हिसी के दरिया में
इबरत मछलीशहरी
ख़याल-ए-बद से हमा-वक़्त इज्तिनाब करो
इबरत बहराईची
मिशअल-ब-कफ़ कभी तो कभी दिल-ब-दस्त था
इब्राहीम अश्क
आज की रात कटेगी क्यूँ कर साज़ न जाम न तो मेहमान
इब्न-ए-सफ़ी
दिल-आशोब
इब्न-ए-इंशा
ऐ मिरे सोच-नगर की रानी
इब्न-ए-इंशा
इस शहर के लोगों पे ख़त्म सही ख़ु-तलअ'ती-ओ-गुल-पैरहनी
इब्न-ए-इंशा
हर्कुलेस और पाटे-ख़ान की सर्कस
हुसैन आबिद
सूरत-ए-सब्ज़ा-ए-बे-गाना चमन से गुज़रे
हुरमतुल इकराम
उन के सब झूट मो'तबर ठहरे
हिना हैदर
आए थे तेरे शहर में कितनी लगन से हम
हिमायत अली शाएर
थी अजब ही दास्ताँ जब तमाम हो गई
हिलाल फ़रीद
रुकने के लिए दस्त-ए-सितम-गर भी नहीं था
हिलाल फ़रीद
ज़माना देखता है हंस के चश्म-ए-ख़ूँ-फ़िशाँ मेरी
हीरा लाल फ़लक देहलवी
तारों से माहताब से और कहकशाँ से क्या
हीरा लाल फ़लक देहलवी
इस का नहीं है ग़म कोई, जाँ से अगर गुज़र गए
हज़ीं लुधियानवी
उस का हाल-ए-कमर खुला हमदम
हातिम अली मेहर
पुतली की एवज़ हूँ बुत-ए-राना-ए-बनारस
हातिम अली मेहर
इश्क़-ए-जान-ए-जहाँ नसीब हुआ
हातिम अली मेहर
दिल ले गई वो ज़ुल्फ़-ए-रसा काम कर गई
हातिम अली मेहर
दरिया की तरफ़ देख लो इक बार मिरे यार
हस्सान अहमद आवान
ग़ुर्बत की सुब्ह में भी नहीं है वो रौशनी
हसरत मोहानी
तासीर-ए-बर्क़-ए-हुस्न जो उन के सुख़न में थी
हसरत मोहानी
रौशन जमाल-ए-यार से है अंजुमन तमाम
हसरत मोहानी
फ़ैज़-ए-मोहब्बत से है क़ैद-ए-मिहन
हसरत मोहानी
साक़ी हैं रोज़-ए-नौ-बहार यक दो सह चार पंज ओ शश
हसरत अज़ीमाबादी