देशभक्तिपूर्ण Poetry (page 3)
बदन से रूह हम-आग़ोश होने वाली थी
हाशिम रज़ा जलालपुरी
मोहब्बत का अजब ज़ाविया है
हसन रिज़वी
कभी आबाद करता है कभी बरबाद करता है
हसन रिज़वी
पाँव से लग के खड़ी है ये ग़रीब-उल-वतनी
हसन नईम
जुरअत कहाँ कि अपना पता तक बता सकूँ
हसन नईम
करें न याद वो शब हादिसा हुआ सो हुआ
हसन नईम
करें न याद शब-ए-हादिसा हुआ सो हुआ
हसन नईम
जादू-ए-ख़्वाब में कुछ ऐसे गिरफ़्तार हुए
हसन नईम
जब्र-ए-शही का सिर्फ़ बग़ावत इलाज है
हसन नईम
जब कभी मेरे क़दम सू-ए-चमन आए हैं
हसन नईम
गुमनाम शहीद का कतबा
हसन अकबर कमाल
जो है ताज़गी मिरी ज़ात में वही ज़िक्र-ओ-फ़िक्र-ए-चमन में है
हनीफ़ अख़गर
किस वहम में असीर तिरे मुब्तला हुए
हमीद जालंधरी
मक़्सद-ए-हयात
हाजी लक़ लक़
ये महव हुए देख के बे-साख़्ता-पन को
हैरत इलाहाबादी
तब्ल-ओ-अलम ही पास हैं अपने न मुल्क-ओ-माल
हैदर अली आतिश
तब्ल-ओ-अलम ही पास है अपने न मुल्क ओ माल
हैदर अली आतिश
ये किस रश्क-ए-मसीहा का मकाँ है
हैदर अली आतिश
सुन तो सही जहाँ में है तेरा फ़साना क्या
हैदर अली आतिश
सब्ज़ा बाला-ए-ज़क़न दुश्मन है ख़ल्क़ुल्लाह का
हैदर अली आतिश
क़द-ए-सनम सा अगर आफ़रीदा होना था
हैदर अली आतिश
कूचा-ए-दिलबर में मैं बुलबुल चमन में मस्त है
हैदर अली आतिश
जोश-ओ-ख़रोश पर है बहार-ए-चमन हनूज़
हैदर अली आतिश
इंसाफ़ की तराज़ू में तौला अयाँ हुआ
हैदर अली आतिश
फ़रेब-ए-हुस्न से गब्र-ओ-मुसलमाँ का चलन बिगड़ा
हैदर अली आतिश
बुलबुल गुलों से देख के तुझ को बिगड़ गया
हैदर अली आतिश
ऐ जुनूँ होते हैं सहरा पर उतारे शहर से
हैदर अली आतिश
आश्ना गोश से उस गुल के सुख़न है किस का
हैदर अली आतिश
कौन कहता है कि महरूमी का शिकवा न करो
हफ़ीज़ मेरठी
बज़्म-ए-तकल्लुफ़ात सजाने में रह गया
हफ़ीज़ मेरठी