Social Poetry (page 10)
मेरा दोस्त अबुल-हौल
अख़्तर-उल-ईमान
मताअ-ए-राएगाँ
अख़्तर-उल-ईमान
डासना स्टेशन का मुसाफ़िर
अख़्तर-उल-ईमान
ग़ुरूर-ए-पास-ए-रिवायत बदल के रख दूँगा
अख़्तर रज़ा अदील
बदन के शहर में आबाद इक दरिंदा है
अख़्तर अमान
मोहब्बतों में बहुत रस भी है मिठास भी है
अख़्तर अमान
न अपना नाम न चेहरा बदल के आया हूँ
अकबर मासूम
हँसी में साग़र-ए-ज़र्रीं खनक खनक जाए
अकबर हमीदी
ये सुस्त है तो फिर क्या वो तेज़ है तो फिर क्या
अकबर इलाहाबादी
जहाँ न दिल को सुकून है न है क़रार मुझे
आजिज़ मातवी
ये किस लिए है तू इतना उदास दरवाज़े
अजीत सिंह हसरत
हम भी गुज़र गए यहाँ कुछ पल गुज़ार के
अजय सहाब
कभी तू ने ख़ुद भी सोचा कि ये प्यास है तो क्यूँ है
ऐतबार साजिद
शहर
ऐन रशीद
इल्म भी आज़ार लगता है मुझे
अहमद सोज़
होता न कोई कार-ए-ज़माना मिरे सुपुर्द
अहमद रिज़वान
आँखें बनाता दश्त की वुसअत को देखता
अहमद रिज़वान
हम उन के नक़्श-ए-क़दम ही को जादा करते रहे
अहमद नदीम क़ासमी
ज़मीं से उगती है या आसमाँ से आती है
अहमद मुश्ताक़
मैं रंग-ए-आसमाँ कर के सुनहरी छोड़ देता हूँ
अहमद कमाल परवाज़ी
कोई जल में ख़ुश है कोई जाल में
अहमद जावेद
चाक करते हैं गरेबाँ इस फ़रावानी से हम
अहमद जावेद
निकली जो रूह हो गए अजज़ा-ए-तन ख़राब
अहमद हुसैन माइल
तज्दीद-3
अहमद हमेश
सफ़र ऐसा है कहाँ का
अहमद हमेश
कुछ उस को याद करूँ उस का इंतिज़ार करूँ
अहमद हमदानी
दोस्ती का हाथ
अहमद फ़राज़
रंग जिन के मिट गए हैं उन में यार आने को है
आग़ा हज्जू शरफ़
दिल को अफ़सोस-ए-जवानी है जवानी अब कहाँ
आग़ा हज्जू शरफ़
मकान-ए-ख़्वाब में जंगल की बास रहने लगी
अफ़ज़ाल नवेद