Social Poetry (page 9)
तिरे ख़याल के जब शामियाने लगते हैं
अमीर हम्ज़ा साक़िब
हर एक शाम का मंज़र धुआँ उगलने लगा
अमीर इमाम
ख़त का इंतिज़ार
अमीर औरंगाबादी
तुम और हम
अमीक़ हनफ़ी
तअल्लुक़ तोड़ने वाले
अमीक़ हनफ़ी
एक ख़्वाहिश
अमीक़ हनफ़ी
मिरे बदन से कभी आँच इस तरह आए
अमीन राहत चुग़ताई
बाम से ढल चुका है आधा दिन
अम्बरीन सलाहुद्दीन
कल एक शख़्स जो अच्छे-भले लिबास में था
अमर सिंह फ़िगार
मेरे ही आस-पास हो तुम भी
आलोक मिश्रा
ख़ाक हो कर भी कब मिटूंगा मैं
आलोक मिश्रा
कभी ऐ हक़ीक़त-ए-मुंतज़र नज़र आ लिबास-ए-मजाज़ में
अल्लामा इक़बाल
फ़िर्क़ा-बंदी है कहीं और कहीं ज़ातें हैं
अल्लामा इक़बाल
वालिदा मरहूमा की याद में
अल्लामा इक़बाल
तस्वीर-ए-दर्द
अल्लामा इक़बाल
मोहब्बत
अल्लामा इक़बाल
जवाब-ए-शिकवा
अल्लामा इक़बाल
इबलीस की मजलिस-ए-शूरा
अल्लामा इक़बाल
कभी ऐ हक़ीक़त-ए-मुंतज़र नज़र आ लिबास-ए-मजाज़ में
अल्लामा इक़बाल
तू है किस मंज़िल में तेरा बोल खाँ है दिल का ठार
अलीमुल्लाह
तुम्हारा शहर
अली सरदार जाफ़री
लहू पुकारता है
अली सरदार जाफ़री
ख़ूगर-ए-रू-ए-ख़ुश-जमाल हैं हम
अली सरदार जाफ़री
इक सुब्ह है जो हुई नहीं है
अली सरदार जाफ़री
मुख़ासिमत
अली साहिल
दर-ए-शही से दर-ए-गदाई पे आ गया हूँ
अली मुज़म्मिल
उठेंगे मौत से पहले
अली अकबर नातिक़
चले थे भर के रेत जब सफ़र की जिस्म-ओ-जाँ में हम
अलीम अफ़सर
सफ़र में राह के आशोब से न डर जाना
आलमताब तिश्ना
सफ़र में राह के आशोब से न डर जाना
आलमताब तिश्ना