इब्न-ए-इंशा कविता, ग़ज़ल तथा कविताओं का इब्न-ए-इंशा (page 2)

इब्न-ए-इंशा कविता, ग़ज़ल तथा कविताओं का इब्न-ए-इंशा (page 2)
नामइब्न-ए-इंशा
अंग्रेज़ी नामIbn E Insha
जन्म की तारीख1927
मौत की तिथि1978
जन्म स्थानKarachi

ये सराए है

ये कौन आया

ये बच्चा किस का बच्चा है

ये बातें झूटी बातें हैं

सब माया है

पिछले-पहर के सन्नाटे में

फिर शाम हुई

लोग पूछेंगे

लब पर नाम किसी का भी हो

क्या धोका देने आओगी

कुछ दे इसे रुख़्सत कर

कातिक का चाँद

कल हम ने सपना देखा है

झुलसी सी इक बस्ती में

इस बस्ती के इक कूचे में

घूम रहा है पीत का प्यासा

फ़र्ज़ करो

एक लड़का

एक बार कहो तुम मेरी हो

दिल-आशोब

दिल पीत की आग में जलता है

दिल इक कुटिया दश्त किनारे

दरवाज़ा खुला रखना

चाँद के तमन्नाई

ऐ मिरे सोच-नगर की रानी

ऐ मतवालो! नाक़ों वालो!!

उस शाम वो रुख़्सत का समाँ याद रहेगा

सुनते हैं फिर छुप छुप उन के घर में आते जाते हो

शाम-ए-ग़म की सहर नहीं होती

सब को दिल के दाग़ दिखाए एक तुझी को दिखा न सके

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