Love Poetry of Ibn E Insha

Love Poetry of Ibn E Insha
नामइब्न-ए-इंशा
अंग्रेज़ी नामIbn E Insha
जन्म की तारीख1927
मौत की तिथि1978
जन्म स्थानKarachi

वो रातें चाँद के साथ गईं वो बातें चाँद के साथ गईं

वहशत-ए-दिल के ख़रीदार भी नापैद हुए

कल चौदहवीं की रात थी शब भर रहा चर्चा तिरा

हुस्न सब को ख़ुदा नहीं देता

गर्म आँसू और ठंडी आहें मन में क्या क्या मौसम हैं

अपने हमराह जो आते हो इधर से पहले

ये सराए है

ये कौन आया

ये बच्चा किस का बच्चा है

ये बातें झूटी बातें हैं

सब माया है

पिछले-पहर के सन्नाटे में

फिर शाम हुई

क्या धोका देने आओगी

कुछ दे इसे रुख़्सत कर

कातिक का चाँद

कल हम ने सपना देखा है

इस बस्ती के इक कूचे में

फ़र्ज़ करो

एक बार कहो तुम मेरी हो

दिल-आशोब

दिल इक कुटिया दश्त किनारे

दरवाज़ा खुला रखना

चाँद के तमन्नाई

ऐ मिरे सोच-नगर की रानी

ऐ मतवालो! नाक़ों वालो!!

शाम-ए-ग़म की सहर नहीं होती

सब को दिल के दाग़ दिखाए एक तुझी को दिखा न सके

राज़ कहाँ तक राज़ रहेगा मंज़र-ए-आम पे आएगा

रात के ख़्वाब सुनाएँ किस को रात के ख़्वाब सुहाने थे

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