इबरत मछलीशहरी कविता, ग़ज़ल तथा कविताओं का इबरत मछलीशहरी

इबरत मछलीशहरी कविता, ग़ज़ल तथा कविताओं का इबरत मछलीशहरी
नामइबरत मछलीशहरी
अंग्रेज़ी नामIbrat Machlishahri

ज़िंदगी कम पढ़े परदेसी का ख़त है 'इबरत'

ज़मीं के जिस्म को टुकड़ों में बाँटने वालो

वो यूँ सुबूत-ए-उरूज-ओ-ज़वाल देता था

सुना है डूब गई बे-हिसी के दरिया में

क्यूँ पशेमाँ हो अगर वअ'दा वफ़ा हो न सका

जब आ जाती है दुनिया घूम फिर कर अपने मरकज़ पर

अपनी ग़ुर्बत की कहानी हम सुनाएँ किस तरह

ये तकल्लुफ़ ये मुदारात समझ में आए

हवादिसात ज़रूरी हैं ज़िंदगी के लिए

अपने एहसानों का नीला साएबाँ रहने दिया

ऐ मौसम-ए-जुनूँ ये अजब तर्ज़-ए-क़त्ल है

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