इफ़्फ़त ज़र्रीं कविता, ग़ज़ल तथा कविताओं का इफ़्फ़त ज़र्रीं

इफ़्फ़त ज़र्रीं कविता, ग़ज़ल तथा कविताओं का इफ़्फ़त ज़र्रीं
नामइफ़्फ़त ज़र्रीं
अंग्रेज़ी नामIffat Zarrin
जन्म की तारीख1958
जन्म स्थानDelhi

ज़ेहन ओ दिल के फ़ासले थे हम जिन्हें सहते रहे

वो मुझ को भूल चुका अब यक़ीन है वर्ना

वो मिल गया तो बिछड़ना पड़ेगा फिर 'ज़र्रीं'

पत्थर के जिस्म मोम के चेहरे धुआँ धुआँ

कौन पहचानेगा 'ज़र्रीं' मुझ को इतनी भीड़ में

देख कर इंसान की बेचारगी

अगर वो चाँद की बस्ती का रहने वाला था

ज़ेहन ओ दिल के फ़ासले थे हम जिन्हें सहते रहे

रूह जिस्मों से बाहर भटकती रही

मंज़िलें आईं तो रस्ते खो गए

ख़्वाब आँखों से ज़बाँ से हर कहानी ले गया

जिस्म-ओ-जाँ की बस्ती में सिलसिले नहीं मिलते

घबरा गए हैं वक़्त की तन्हाइयों से हम

बे-सम्त रास्तों पे सदा ले गई मुझे

अजीब कर्ब-ए-मुसलसल दिल-ओ-नज़र में रहा

अगर वो मिल के बिछड़ने का हौसला रखता

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