इफ़्तिख़ार नसीम कविता, ग़ज़ल तथा कविताओं का इफ़्तिख़ार नसीम

इफ़्तिख़ार नसीम कविता, ग़ज़ल तथा कविताओं का इफ़्तिख़ार नसीम
नामइफ़्तिख़ार नसीम
अंग्रेज़ी नामIftikhar Naseem
जन्म की तारीख1946
मौत की तिथि2011

ये कौन मुझ को अधूरा बना के छोड़ गया

उस के चेहरे की चमक के सामने सादा लगा

तू तो उन का भी गिला करता है जो तेरे न थे

तिरा है काम कमाँ में उसे लगाने तक

ताक़ पर जुज़दान में लिपटी दुआएँ रह गईं

न जाने कब वो पलट आएँ दर खुला रखना

न हो कि क़ुर्ब ही फिर मर्ग-ए-रब्त बन जाए

मुझ से नफ़रत है अगर उस को तो इज़हार करे

मैं शीशा क्यूँ न बना आदमी हुआ क्यूँकर

कोई बादल मेरे तपते जिस्म पर बरसा नहीं

ख़ुद को हुजूम-ए-दहर में खोना पड़ा मुझे

कटी है उम्र किसी आबदोज़ कश्ती में

जिस घड़ी आया पलट कर इक मिरा बिछड़ा हुआ

जी में ठानी है कि जीना है बहर-हाल मुझे

इस क़दर भी तो न जज़्बात पे क़ाबू रक्खो

हज़ार तल्ख़ हों यादें मगर वो जब भी मिले

ग़ैर हो कोई तो उस से खुल के बातें कीजिए

फ़स्ल-ए-गुल में भी दिखाता है ख़िज़ाँ-दीदा-दरख़्त

दीवार ओ दर झुलसते रहे तेज़ धूप में

बहती रही नदी मिरे घर के क़रीब से

अगरचे फूल ये अपने लिए ख़रीदे हैं

एक मुख़्तलिफ़ कहानी

यूँ है तिरी तलाश पे अब तक यक़ीं मुझे

वो मिला मुझ को न जाने ख़ोल कैसा ओढ़ कर

उस के चेहरे की चमक के सामने सादा लगा

तेरी आँखों की चमक बस और इक पल है अभी

तिरा है काम कमाँ में उसे लगाने तक

सूरज नए बरस का मुझे जैसे डस गया

शाम से तन्हा खड़ा हूँ यास का पैकर हूँ मैं

सज़ा ही दी है दुआओं में भी असर दे कर

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