दिल की हालत से ख़बर देती है
'असर' आशुफ़्ता-बयानी मेरी
Javed Akhtar
Mir Taqi Mir
Gulzar
Anwar Masood
Allama Iqbal
Jaun Eliya
Mohsin Naqvi
Faiz Ahmad Faiz
Ahmad Faraz
Habib Jalib
Parveen Shakir
Wasi Shah
Love Poetry
Funny Poetry
Sad Poetry
Rain Poetry
Sharabi Poetry
Friends Poetry
(699) Peoples Rate This
अपनी जाँ-बाज़ी का जिस दम इम्तिहाँ हो जाएगा
ग़म नहीं मुझ को जो वक़्त-ए-इम्तिहाँ मारा गया
ख़ुदा जाने 'असर' को क्या हुआ है
दिल से क्या पूछता है ज़ुल्फ़-ए-गिरह-गीर से पूछ
शैख़ के हाल पर तअस्सुफ़ है
गुलशन में कौन बुलबुल-ए-नालाँ को दे पनाह
कैसा आना कैसा जाना मेरे घर क्या आओगे
जान कर 'मीर' का कलाम 'असर'
तुम्हारे आशिक़ों में बे-क़रारी क्या ही फैली है
ख़ूब-ओ-ज़िश्त-ए-जहाँ का फ़र्क़ न पूछ
ठिकाना है कहीं जाएँ कहाँ नाचार बैठे हैं
दोस्ती की तुम ने दुश्मन से अजब तुम दोस्त हो