इम्तियाज़ साग़र कविता, ग़ज़ल तथा कविताओं का इम्तियाज़ साग़र
नाम | इम्तियाज़ साग़र |
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अंग्रेज़ी नाम | Imtiyaz Saghar |
उसी दरख़्त को मौसम ने बे-लिबास किया
होगा बहुत शदीद तमाज़त का इंतिक़ाम
हैं घर की मुहाफ़िज़ मिरी दहकी हुई आँखें
वो संगलाख़ ज़मीनों में शेर कहता था
हर बे-ख़ता है आज ख़ता-कार देखना
हैं घर की मुहाफ़िज़ मिरी दहकी हुई आँखें